सांस की ऐसी बिमारी चर्चा कर रहा हूं
Wed, 04 Sep 2024
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आज सांस की ऐसी बिमारी चर्चा कर रहा हूं जिसमें गोली, इंजेक्शन और सिरप की जगह नाक से लेने वाले इनहेलर का प्रयोग किया जाता है। इसे अस्थमा कहते है।सांस लेने में दिक्कत, श्वास नलियों की सूजन, सांस लेते समय आवाज, सीने में जकड़न और खाँसी इसके लक्षण है।सुबह और रात की ठंडी हवा में लक्षण अधिक दिखने लगते है।
किस तरह के लोग अस्थमा के चपेट में आते है। वैसे लोग जो ट्रेफिक के धुंए, कुत्ते बिल्लियां,फूल के पराग, फैक्ट्री के धुआँ से सेन्सिटिव होते है। बराबर सर्दी,फ्लू, ब्रोंकाइटिस और साइनस के संक्रमण से भी अस्थमा हो सकता है।अंडे, गाय का दूध, मूँगफली, सोया, गेहूं, मछली से सेन्सिटिव होने पर भी अस्थमा होता है।सिगरेट के धुंए फेफड़ों में समस्या पैदा करते हैं।गैस्ट्रो इसोफेगल रिफ्लक्स रोग के कारण भी अस्थमा होता है।
अस्थमा की जांच स्पायरोमेट्री से की जाती है।गहरी सांस लेने के दौरान देखा जाता है कि कितनी तेजी से सांस लेना- छोड़ना सम्भव हैं ।पीक फ्लो एक मीटर है जिससे देखा जाता है, कि मरीज कितनी तेजी से सांस ले सकता हैं। फेफड़े और साइनस का सीटी स्कैन और एक्स-रे से भी रोग को पहचानने में मदद मिलती है।
अस्थमा के इलाज अन्य बिमारियों से अलग है?इन्हेल्ड कोर्टिकोस्टेरॉयड प्राथमिक इलाज है।जो मुंह के माध्यम से सांस खिंचकर दी जाती है। इन्हेलर लेने के बाद मरीज कुल्ला कर मुंह में आए स्टेरायड को बाहर फेंक देता है।इनहलेर से स्टेरायड लेने पर टैबलेट के बजाय बहुत थोड़ी मात्रा में सटेरायड की जरूरत होती है।
जब खांसी, सांस लेने में कठिनाई, छाती में जकड़न, सांस फूलने की समस्या अधिक हो शॉर्ट एक्टिंग ब्रोंकॉडायलेटर्स दिया जाता है।इसे रेस्क्यू इनहेलर या रामवाण भी कहते हैं।इसका उपयोग जरूरी पड़ने पर महीने में चार -पाच बार ही किया जा सकता।
नेब्यूलाइजार तीसरा विकल्प है। जिसका उपयोग शिशु और वृद्ध में किया जाता है।यह दवाओं को भाप में बदल कर फेंफड़ों तक पहुंचाता है।ओरल कोर्टिकोस्टेरॉयड्स अंतिम च्वाइस है जिसे अस्थमा अटैक आने पर गोली के रूप में दो हफ्तों तक दिया जा सकता है।
अस्थमा होने पर क्या नहीं खाना चाहिए? दर्द निवारक एस्पिरिन, आईब्यूप्रोफेन और बीपी की दवा बीटा ब्लॉकर्स नहीं खाना चाहिए।शराब और बियर नहीं पीना चाहिए। इसमें उपस्थित सल्फाइट लक्षण को तेज कर देते हैं।चिंता,डर और उत्तेजना हो तो एंटीडिप्रेंटेंट्स लेकर दबा देना चाहिए क्योंकि यह श्वासमार्ग में रुकावट का कारण बनता है।

Dr. S Kumar.................................


Dr. S Kumar.........
 
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