हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को यह जानने की उत्सुकता होती है
Wed, 04 Sep 2024
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dr.s.kumar

हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को यह जानने की उत्सुकता होती है कि उपर वाले बीपी (सिस्टोलिक) और नीचे वाले बीपी (डायस्टोलिक) में कौन ज्यादा महत्वपूर्ण है?किसका नार्मल रहना रहना ज्यादा जरूरी है।बीपी के मैनेजमेंट में उपर वाले बीपी को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि १२० से अधिक सिसटोलिक रहने पर ब्रेन हैमरेज,लकवा मारने और किडनी खराब होने का डर होता है। उपर वाला बीपी १२० से कम होने पर मस्तिष्क में खून का प्रवाह कम हो जाता है। जिसकारण मरीज को चक्कर और कमजोरी महसूस होता है।

उम्र का बीपी से कोई सम्बंध नहीं है। यह सोचना ग़लत है कि ६० वर्ष वालो को अधिक बीपी हो तो कोई परेशानी नहीं है। ऐसा चलता है। उम्र कोई हो।उम्र अधिक हो या कम सिसटोलिक को १२० पर नियंत्रित करना बहुत जरूरी होता है अन्यथा मरीज लकवे और ब्रेन हैमरेज का शिकार हो जाता है।

जहां तक नीचे वाले बीपी यानी डायस्टोलिक का सवाल है , बुढ़ापे और उम्र बढ़ने पर यह ८० से कम होता जाता है।८० से कम रहना बिमारी नहीं है और इसे ठीक करने की जरूरत नहीं होती है।यह जान लें कि बुढ़ापे में खून की नलियां सख्त हो जाती है।इस कारण हृदय में लौटने वाले खून का दबाव घट जाता है। बुढ़ापे में डायस्टोलिक ७० हो या ६०, हृदय को कोई नुक्सान नहीं होता है।

हाई ब्लड प्रेशर को आमतौर हल्के में लिया जाता है।आइए इस बिमारी को समझें।

हाई ब्लड प्रेशर की बिमारी आखिर है क्या?
सभी अंगों तक खून संचालित होता रहे इसके लिए हृदय खून की नलियों पर 120/80 का एक दबाव बनाती है।इससे उपर जाने पर उसे हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है। गम्भीर बिमारी के दौरान यह दबाव कम होना शुरू होता है और मृत्यु के बाद शुन्य पर आ जाता है

हाई ब्लड प्रेशर कैसे पहचानें ?
सरदर्द, चक्कर,काम करने में मन नहीं लगना, गुस्सा आ जाना और अधिक बकवास करने की आदत से हाई बीपी को पहचाना जा सकता है।समय बीतते ये लक्षण सीने में दर्द, हर्ट अटैक,और किडनी फेल होने में बदल जाता है।

दवा लिए बिना क्या बीपी को कन्ट्रोल किया जा सकता है?
यह रास्ता थोड़ा कठिन है।इसके लिए आधे पेट भोजन,नमक की मात्रा आधी,रोज २-३किमी की सैर, तनाव से दूर जिंदगी और गहरी नींद लेनी पड़ेगी।

बीपी के दो प्रकार-सिसटोलिक और डायोसटोलिक में किसका बढ़ना अधिक खतरनाक है?
उपर वाला बीपी (सिसटोलिक) दिमाग से संचालित होता है। दिमाग में थोड़ी भी उत्तेजना और टेंशन (पारासिमेपेथटिक)आने पर उपर वाला यह बीपी ५से १०एम एम तक बढ़ जाता है ।कुछ घंटों के बाद दिमाग द्वारा पुरानी बातें भूलते ही बीपी नार्मल हो जाता है।नीचे वाले बीपी यानी डायस्टोलिक का मामला जटिल है।इसका बढ़ना स्थाई है जो हृदय के गड़बड़ी का सूचक है।इसका ५एम एम भी बढ़ना बहुत खतरनाक माना जाता है

अधिक उम्र के कुछ बुजुर्गों का डायस्टोलिक ८० से कम क्यों रहता है?
बुढ़ापे में खून की नलियां ढीली पड़ जाने के कारण हृदय को पिचकने में नार्मल से ज्यादा समय लगता है। बुढ़ापे मे डायस्टोलिक प्रायः ७० पर रहता है ।

डायबिटीज़ मरीजों को बीपी भी क्यों होता है?
ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में इन्सुलिन काफी मददगार होता है। डायबिटीज़ में इन्सुलिन की कमी होती है, इसलिए समान्य लोगों के बजाय इन्हें अधिक बीपी होता है।

dr.s.kumar

 
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