शहरों में भी किडनी के बिमारियों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है
Wed, 04 Sep 2024
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इन दिनोंछोटे शहरों में भी किडनी के बिमारियों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है जिससे लोग प्रायः अनिभिज्ञ रहते हैं।ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस भी किडनी की ऐसी बीमारी है जिसमे ग्लोमेरूली में सूजन आ जाता है जिसके कारण सूक्ष्मरक्त वाहिकाओं से बना गुच्छे को (ग्लोमेरूली) रक्त साफ करने और पेशाब को बाहर करने में दिक्कत आने लगती है। जिससे इजीएफआर घटने लगता है और क्रियटेनिन तेजी से बढ़ने लगता है। धीरे-धीरे ग्लोमेरूली क्षतिग्रस्त हो जाती है और मरीज किडनी फेलियर में चला जाता है।
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस के मुख्य लक्षण पेशाब में जलन,पेशाब का रंग धुंधला होना,झागदार पेशाब आना,पेशाब में प्रोटीन,बीपी बढ़ जाना और पेट के एक हिस्से में दर्द होता है।
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस क्यों होता है?सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि बैक्टीरिया और वायरस से होने वाले संक्रमणों के कारण ऐसा होता है।स्ट्रेप्टो कॉकल इनफैक्शन जिसके कारण गले में इनफैक्शन और सोर थ्रोट होता है, मुख्य कारण है।हेपेटाइटिस, एचआईवी और एड्स जैसे वायरल इनफैक्शन के कारण भी ग्लोमेरुलो नेफ्राइटिस होता है।ऑटोइम्यून रोग जैसे लुपस ,डपैस्चर सिंड्रोम,आईजीए नेफ्रोपैथी भी इस बिमारी के कारण है। वायरल और बैक्टीरियल इनफैक्शन को कन्ट्रोल करते ही ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस ठीक हो जाता हैं। इस दौरान हाई बीपी और पेट में दर्द की दवाइयां अलग से दी जाती है।
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस के इलाज में सबसे लोकप्रिय आयुर्वेदिक दवा एमिल नीरी है। किन्तु किडनी रोग के विशेषज्ञ बेन्जाथिन १२ लाख इनजैकशन का उपयोग करते है
Dr. S Kumar........

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