मिताली
Tue, 20 Aug 2024
"
लेखक - डॉ. एस कुमार
पोता बहु के स्वागत के लिए अम्मा कब से बेचैन थी।मुड चुकी कमर को पकड़े कितनी बार अंदर बाहर हो गयी।
तभी गाड़ी आ कर रूकती है। बैंड बाजे की आवाज में अम्मा की आवाज दब सी गई।
बहु को गाड़ी से उतारकर, अम्मा की बहू कमला बड़ा इतरा रही थी।इतराये भी क्यों नहीं? मिताली थी ही इतनी खूबसूरत।नीलेश के चहरे पर विजयी मुस्कान थी।
अम्मा जैसे ही आगे बढ़ी, कमला की कर्कश आवाज सुनाई दी;
"क्या अम्मा! किसने बोला बाहर आने के लिए ?भोला, कमरे में ले जाओ इनको।"
आँखो मे पानी लिए अम्मा डगमगाते कदमों से अंदर चल गई। उनकी आंखों का पानी किसी ने देखा या नहीं पर मिताली की दिल को छलनी कर गया।
रस्मे शुरू हो गई पर अम्मा ना आई उसने सास से पुछा,
"माँ जी! अम्मा जी नहीं दिख रही। वो ठीक तो हैं ना ?"
"अरे उनकी चिंता ना करो वो ठीक हैं कमरे में ह़ोगीं।खुद संभला नहीं जाता उनसे।इतने मेहमान है उनको कौन संभालेगा?"
कमला की आँखों में आई हिकारत मिताली से छुप ना सकी।
पर वो चुप रही उसके संस्कार बोलने की इजाजत नहीं दे रहे थे।
नयी उंमग के साथ नीलेश ने कमरे में प्रवेश किया, पर मिताली ना दिखी ...।
देखा तो वो खिड़की के पास खड़ी थी।
"मिताली! यहाँ क्यों खडी हो क्या हुआ?"
"कुछ नहीं नीलेश।"
"फिर परेशान क्यों हो! थक गई हो ...?"
"नीलेश, मुझको दादी से मिलना है। सुबह बस एक झलक देखी थी उनकी।"
"इस समय!!आज इतना खास दिन है और तुम...!!"
"मुझको कुछ नहीं सुनना ,मुझको मिलना है बस ....।"
"सुबह मिल लेना।"मिताली को बाँहों में भरते हुए नीलेश ने कहा।
"ये मेरी मुँह-दिखाई समझो ।"मिताली ने नीलेश को पीछे कर दृढ़ता से कहा।
"ठीक है, पहले देखता हूँ, बाहर कोई हैं तो नहीं।"
कमरे में अम्मा जाग रही थीं ,नीलेश के बचपन की फोटो हाथ में लिए पनियाली आँखों से निहार रही थी।
मिताली ने अम्मा के पाँव छुये।
"बहु इस समय!!"
"हाँ अम्मा।"
"पर क्यों ?आज तो ....आज तो..।"कुछ कह न सकी अम्मा।
"आप से मिले बिना, आपके आशीर्वाद के बिना मैं अपना नया जीवन कैसे शुरू कर सकती थी!'
अम्मा की आँखों में जैसे रूका हुआ सैलाब बह गया ।मिताली को गले लगाकर वो जोर से रोने लगी।पता नहीं कितने दिनों का बांध था जो आज टूट गया।
"अम्मा! आज रो लिए आप, पर अब नहीं।"उनकी आँखों को साफ करते हुए मिताली ने कहा।
इतने में कमला की वही कर्कश आवाज सुनाई दी।
"नीलेश ...नीलेश! यहाँ क्या कर रहा है तू!बहु को क्यों लाया यहाँ ?"
"अम्मा से आर्शीवाद लेने औऱ मिताली को ये कमरा दिखाने।आखिर आप को भी तो यहीं रहना है अम्मा की तरह।चलो मिताली अम्मा को आराम करने दो ,कल उनको मेरे साथ मंदिर जाना है ।"नीलेश ने कहा और मिताली का हाथ पकड़कर बाहर निकल गया।
ये सुन कमला जैसे धरातल पर गिर गई ।
मुस्कुराते हुए मिताली ने पति की तरफ गर्व से देखा ।
अम्मा की आंखों में अब भी नमी थी घर में सचमुच लक्ष्मी आ गई।
लेखक - डॉ. एस कुमार