ढलती उम्र बुढ़ापे का जिक्र
Wed, 04 Sep 2024
ढलती उम्र बुढ़ापे का जिक्र
६० वर्ष पार करते ही कई तरह की बिमारियों का जन्म होने लगता है। जिरायट्रीक डिजीज केपहचान और प्रबंधन को आइए समझें।
खून में चर्बी का बढना बुढ़ापे की सबसे आम बिमारी है।इसी कारण हर्ट मे ब्लाकेज, हृदयाघात और किडनी में खराबी आने लगती है।तेल घी और चर्बी का प्रयोग कम से कम करना और मार्निंग वाक इसका सरल उपचार है।जोड़़ो, कुल्हा, घुटना और एड़ी में दर्द (गठिया) बुढापे की दूसरी बड़ी समस्या है। घुटनो के बीच का गददा घीस जाना (आर्थराइटिस) के कारण लगातार दर्द खूब परेशान करता है।दवाओ के सहारे विटामिन डी३ का स्तर ठीक रखकर हड्डियों की समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है।ऐसे में दूध, मांस और दाल के कम सेवन करना चाहिए।
उम्र बढने से रक्त में इन्सुलिन का उत्पादन घट जाता है।जिससे शुगर बढ़ (डायबिटीज़) जाता है। बाजार में डायबिटीज़ के कन्ट्रोल के लिए एक से बढ़कर एक दवाएं उपलब्ध है। अच्छे फिजिशियन से मिलना चाहिए।गैस,भोजन पचने की समस्या हो तो लाइपेज,एमाइलेज और एसजीपीटी की जांच करानी चाहिए। कब्जियत और दस्त आईबीएस के कारण होती है,जो दस दिनों में ठीक हो जाती है।पूरी जिंदगी आयुर्वेद की चूर्ण नहीं खाएं
६५ वर्ष के बाद खून की नलियाॅ ढीली पड़ जाती है। जिससे नीचे वाला बीपी ८० से कम और उपर वाला बीपी १२० से अधिक रहने लगता है। बुढ़ापे में हड्डियां खोखली और आसानी से टूटने लायक हो जाती है ।ऐसे में विटामिन डी ३ की दवा लेते रहना चाहिए।बूंद बूॅद कर पेशाब होना या धीरे-धीरे पेशाब उतरने को प्रोसटेट की बिमारी भी बुढ़ापे में आती है
भूलने की बिमारी डिमेनशिया और अलजाइमर भी बुढ़ापे में परेशान करता है।बीपी की सही दवा न लेने के कारण लकवा (पैरालाइसिस)और माथे मे खून का थक्का(ब्रेन हैैमरेज) बनने की घटना बुढ़ापे में समान्य रूप से होती रहती है।
Dr. S Kumar.............................
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