अंकुर की शादी
Tue, 20 Aug 2024
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लेखक - डॉ. एस कुमार
अंकुर की शादी को महीना भी न हुआ था कि उसके पिता ने बम फोड़ दिया घर में।
एक सरप्राइज है अंकुर, तुम दोनो के लिए। बाजू वाली बिल्डिंग में एक फ्लैट है जहां अब तुम दोनो को अपनी गृहस्थी बसानी है। ये बात सब से छुपाकर रखी मैंने। तुमने कोर्ट मैरिज की तो बहुत सा पैसा बच गया मेरा, उसी से ये फ्लैट ले लिया। अब इसकी जो किश्त है वो तुम्हारे जिम्मे। अपनी जिंदगी अपने तरीके से जिओ तुम दोनो। सब भौचक्के रह गए उनके इस निर्णय से।
सारा दिन मुंह फुलाये रहने के बाद जब पत्नी ने करवट बदल कर नाराज़गी को और गहरा जताने की कोशिश की तो उन्होंने कहा, सुनो भगवान, आज भले ही तुम नाराज हो पर भविष्य में मेरे इस निर्णय की तारीफ करोगी तुम। एक तो अंकुर की लव मैरिज, ऊपर से बहू अलग जाति की। चूंकि बेटे की खुशी के आगे हम नतमस्तक हो गए इसलिये अब उन्हें खुश रखना भी हमारी जिम्मेदारी है। तुम जितना भी कोशिश करो, एक फ़ांस जो मन में गड़ी है तुम्हारे वो निकलने से रही। तुम्हारी पसन्द की बहू लाने का ख्वाब अब ख़त्म हो चुका। इसका बदला कहीं न कहीं तुम उससे निकालोगी, कोई न बाण बहू की तरफ से भी आएगा। मेरे मन के जो अरमान थे वो भी सब इसकी कोर्ट मैरिज की जिद में अधूरे रह गए। न मंडप सजा न बारात न रिसेप्शन।
परिवार, समाज सब में लम्बे समय तक ताना सुनना होगा वो अलग।
लेकिन, बच्चे पहले। तो उनको उनकी तरह जीने की आजादी देना ही समझदारी है। दोनो नौकरी वाले ठहरे। आपस में सामंजस्य बिठा लें पहले फिर हमसे भी जुड़ जाएंगे। पास ही तो हैं। हम थोड़ा दूर रहकर नजर भी रख पाएंगे उनपर और उन्हें आजादी भी मिल जाएगी।
पूरे मुनाफ़े के चक्कर में कुछ हाथ न आये इससे बेहतर है कि आधे मुनाफ़े में संतुष्ट हो जाएं हम।
और सुनो, रविवार की टिकिट कराई है गोवा की। नाराजगी छोड़ो, कंल से तैयारी करो अपने सेकेंड हनीमून की।
लेखक - डॉ. एस कुमार