धोखेबाज,
Mon, 26 Aug 2024
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लेखक   :-  डॉ.एस कुमार
धोखेबाज,
यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित हैं घटना आज से तीन साल पहले की जब मैं 17 साल का था। सुबह सुबह घर पर मेरे अपने चार दोस्त आते है।उनका नाम मोंटी, सोनु, शिवा और मोहन था। (राजू) यानी मैं, मोंटी दरवाजा से "राजू चल नहाने, आज हम सभी दोस्त नदी में नहाने का प्लान बनाये हैं। मैं, हा मोटी आता हुँ।राजू माँ से, माँ मैं नहाने जाऊमाँ,, हा बेटा जा पर जल्दी आना राजू हा माँ ठीक जाता हूँ मैं अपने दोस्तों के साथ घर से निकल जाता हूँ। मैं अपने दोस्तों के साथ नाचते नाचते जाने लगता हुँ मुझे क्या पता की मेरे साथ क्या होने वाला है़ ...? हम सब नदी पहुंच जाते हैं।और पानी में उतर कर मौज मस्ती करने लगते है। मोंटी नदी मे छलांग लगा देता है, उसे देख हम सभी दोस्त भी छलांग लगाते हैं। हम सब बारी-बारी से एक दूसरे पर छलांग लगा रहे थे।नदी में पानी का बहाव बहुत तेज था, फिर भी हम सब अपने आनंद मे खोये हुये थे। शिवा को नदी के दूसरे छोर पर एक कमल का फुल दिखाई देता है। शिवा सभी को वह फुल दिखा कर बोलता है, चलो दोस्तों वह फुल लेकर आते है।और हाँ जो सबसे पहले उस कमल के फुल तक पहुँचेगा वह फूल उसी का होगा। हम सारे दोस्त उस फुल को लेने तौर कर जाने लगते हैं। तैरते-तैरते आचानक नदी के गहराई मे जाने लगते हैं ।पानी का बहाव भी बहुत तेज होता जा रहा था ।पर मोहन को इसका आभास हो गया था।मोहन अपनी जान बचाने के लिए किनारे कि ओर आने की कोशिश करता है। उसे देख बाकी के दोस्त भी किनारे की ओर आ जाते हैं ये क्या....? मुझे छोड बाकी सब दोस्त किनारे पहुंच जाते हैं। और इधर पानी का बहाव बहुत ज्यादा हो गया था। मै ढुबने लगता हुँ, और अपने दोस्तों को मदद के लिए चिल्लाता हूँ लेकिन सब मुझे छोड़ कर घर की ओर भाग जाते हैं। मुझे अपनी मोत, अपनी आँखों के सामने दिख रहा था। मैं बहुत तेजी से पानी के तेज धारा में बहता जा रहा था। और उधर मेरी माँ घर पर मेरे आने का इन्तजार कर रही थी ।मैं अपने आप को बचाने की बहुत कोशिश करता हूँ, लेकिनपानी मुझे को ठेलते हुए दूसरी ओर ले जा रहा था।। ऐ भगवान मैं बार बार बोल रहा था .................मैं मोत का सामना करते हुऐ अपने परिवार को याद कर रहा था।। मैं अपने दोस्तों को मदद के लिए भी बूला रहा था।तभी मेरी आवाज सुनिल को सुनाई देता है जो, पास के गाँव का था। मुझे बहता देख वह नदी में कुद गया और मुझे बचा लेता है। सुनिल मेरा कुछ नही लगता लेकिन उसने मुझे बचाया। पर मैं जिन्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त समझता था। उन्हीं लोगों ने मुझे छोड़ कर भाग गये थे। मैं उन लोगों से अपनी दोस्ती तोड़ देता हूँ और अपनी नया जीवन की शुरुआत करता हूँ।

लेखक :- डॉ.एस कुमार
 
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