कब्ज आँतों की बिमारी
Wed, 04 Sep 2024
कब्ज आँतों की बिमारी है, जिसमें मल कड़ा हो जाता है और उसकी मात्रा घट जाती है। कब्ज़ होने पर जीभ सफेद और मटमैली हो जाती है।मुंह का स्वाद खराब हो जाता हैऔर भूख नहीं लगती है।
कब्ज़ का बड़ा कारण बड़ी आंत के मांसपेशियां का संक्रमित हो जाना है जिसके कारण पानी की कमी हो जाती है और आँतो में मल सूखने लगता है।फल, सब्जियां और साबुत अनाज मे फाइबर होता है,भोजन में इसकी मात्रा कम होते ही आंतें सुस्त पड़ जाती है और कब्ज़ शुरू हो जाता है।सुस्त जीवन और बिस्तर पर अधिक समय बिताने से भी कब्जियत होता है।
ब्लड प्रेशर की दवा एमलोडिपिन,डायबिटीज़ की दवा मेटफौरमिन और नारकोटिक पेन किलर के लगातार सेवन से कब्ज़ होता है।दूध और डेयरी उत्पादों का अधिक उपभोग करने के कारण भी होता है।गर्भावस्था में हार्मोनल परिवर्तन के कारण और बुढ़ापे में आंतो की गति धीमी होने के कारण भी कब्ज होता है।आंतो का इनफैक्शन आईबीएस भी कब्ज़ पैदा करता है। डायबिटीज़ औरथायरायड के रोगी प्रायः कब्जियत के शिकार होते है
कब्ज़ खत्म कैसे किया जाए? रोज 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए। सब्जी या फल की मात्रा दुगुनी-तिगुनी कर देनी चाहिए।मैदे से बनेसामान,मांसाहारी भोजन और तेल में छने भोजन से परहेज़ करना चाहिेए। रात में देर तक जागने से बचना चाहिए।
इन सभी से बात न बने तो इसबगोल को रोज पानी में घोलकर पीना चाहिए।यह सबसे सुरक्षित दवा है जो शरीर का पानी खिंचकर मल को भारी कर देता है।पूरी जिंदगी इसके उपयोग से दवा की आदत नहीं बनती।क्रीमाफीन और डयूलकोफेलेक्स अन्य कई दवाएं हैं जिनका प्रयोग एक -दो माह से ज्यादा नहीं करना चाहिए अन्यथा दवा की आदत बन जाती है और आगे इसका डोज दुगना करना पड़ता है।दवा बन्द करते ही कब्ज़ फिर आ जाता है
DR. S Kumar..........
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