उत्सवजीवी
लेखक :- डॉ.एस कुमार_________________________,,
लघुकथा
घर से पैदल अपने ऑफिस जाते हुए चंदू ने देखा कि एक घर के बाहर सफेद कपड़ों में लिपटा हुआ एक शव रखा हुआ है। आसपास मातमी चेहरा लिए हुए कई पुरुष खड़े हैं।अंदर से महिलाओं के रोने-पीटने की आवाजें भी आ रही हैं। मन ही मन उस मृतक आत्मा की शांति के लिए दुआ करता हुआ वह आगे बढ़ गया। शाम को ऑफिस से लौटते हुए उसने पाया कि उसी घर में जश्न का माहौल है। खाने-पीने का दौर चल रहा है। डीजे की धुन पर पुरुष एवं महिलाएं थिरक रही हैं। उसके कदम आश्चर्य से ठिठक गये। उसने वहीं पर एक पान ठेले वाले से इस अप्रत्याशित घटना के बारे में पूछा तो पता चला कि इस घर के लोग अपने परिवार के जिस सदस्य की मृत्यु हो गई, सोचकर मातम मना रहे थे, वह तो जीवित है और दूसरे शहर में सकुशल है। पुलिस द्वारा इनको गलत पहचान के आधार पर किसी दूसरे का शव सौंप दिया गया था। अपने परिवार के उस सदस्य के जीवित होने का ये लोग जश्न मना रहे हैं। यह सुनकर चंदू स्तब्ध सा होकर सोचने लगा कि आखिर कोई ना कोई तो मरा ही है। यदि उस आत्मा की शांति के लिए दुआ नहीं कर सकते, तो कम से कम जश्न भी तो न मनाएं।
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लेखक :- डॉ.एस कुमार