पेट कि समस्या
Wed, 04 Sep 2024
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पेट कि समस्या

पेट की एक साधारण सी दिखने वाली बिमारी कोलाइटिस है। इसमे बड़ी आंत और मलाशय के अंदरूनी हिस्से में सूजन आ जाता है।इसे आईबीएस या इंफ्लेमेटरी बाउल सिंड्रोम भी कहते हैं.दस्त के साथ रक्त और मवाद,पेट में दर्द और ऐंठन होता है। शौच जैसा महसूस होगा किन्तु शौच नहीं आता है।कोलाइटिस मे कब्जियत की दवा और गैस की दवा नहीं देनी चाहिए।
इस बिमारी का सबसे भयंकर रूपशिशु में रोटावायरस से एलर्जीक कोलाइटिस होता है।शौच से बार बार चिकनाहट का निकलना,ठोस शौच न होना और पेट में ऐंठन इसके लक्षण है। रोटावायरस दस्त में ड्रीप,एंटीबायोटिक,मेट्रोनिडाजोल ,ओरनिडाजोल का कोई रोल नहीं होता।केवल प्रोबायोटिक्स दिया जाना चाहिए।
कोलाइटिस के ईलाज में डेफलाजा कोर्ट, मेट्रोनिडाजोल और एनटीबायटिक ५-६ दिन तक देने होते हैं।शौच न होने और कब्जियत मे कोरोडिजोपौकसाइड ५ मिलीग्राम देनी चाहिए ।
लम्बे समय के बाद यह अल्सरेटिव कोलाइटिस में बदल जाता है। जिसमें बड़ी आंत कीअंदरूनी परत पर अल्सर या घाव बन जाता है।बड़ी आंत क्षतिग्रस्त हो जाने पर सर्जरी द्वारा पूरे आंत और मलाशय को निकाल देना पड़ता है।फिर बड़ी आंत के प्रारम्भिक छोर से शुरू कर एक थैली का निर्माण कर दिया जाता है जिसे अनास्टोमोसिस कहते हैं।
कब्जियत, पेट का साफ नहीं होना,गैस बनना,डायरिया जैसे लक्षणों को इरिटेबल बाउल सिंड्रोम या आईबीएस कहते हैं।ऐसा आंतो के संकुचन और फैलाव बहुत तेज या धीमी गति से होने के कारण होता है।जब आंतो का संकुचन और फैलाव तेज हो जाता है तो डायरिया और धीमे होने से गैस और कब्जियत महसूस होने लगता है
स्वस्थ्य आदमी के बड़ी और छोटी आंत का संकुचन और फैलाव एक सिस्टम मे समान गति से होता रहता है जिससे कि सही समय पर भोजन का पचना और सही मात्रा मे शौच बनता है
आंतो का संचालन मस्तिष्क से होता है।किसी कारण से दिमाग में तनाव आते ही आंतो की गति गड़बड़ाने लगती है। उम्र भी कारण है।५० वर्ष उम्र आते- आते आंतो के फैलाव और सिकुड़न की गति धीमी होने लगती है। औरतों मे आंतो की गड़बड़ी पुरुष से अधिक होती है।
प्रत्येक परिवार में आप आईबीएस के एक रोगी देख सकते हैं।अखवार और टीबी पर आने वाले आधे विज्ञापन चूरण और और गैस के सिरप से भरा पड़ा होता है।मेडिकल विज्ञान में कोरोडिजोपौकसाइड ५ मिग्रा आईबीएस का सबसे स्टैंडर्ड इलाज है।१० दिन तक लेेने के बाद आंतो के फैलाव और सिकुड़न की गति समान्य हो जाती है और मरीज को मानसिक तनाव से भी मुक्तिमिल जाती है।अच्छी नींद पैदा करने के कारण ऐसी दवाएं रात में ली जाती है।


Dr. S Kumar...

 
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