"बन्ना गुप्ता ने कहा कि जब हेमंत सोरेन जेल में थे तो चंपई सोरेन भाजपा के साथ साठगांठ में जुट गए थे। उन्होंने कहा कि अब समय रहते जब चीजें सामने आ गई तो चंपई सोरेन इंटरनेट मीडिया में पोस्ट कर रहें है जबकि हकीकत हैं कि वे अपनी करनी पर पछतावा कर रहें है।
राज्य सरकार के मंत्री बन्ना गुप्ता की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन अपने कार्यकाल के दौरान भाजपा के साथ साठगांठ में जुटे थे। अभी भी वे हेमंत सरकार को अस्थिर करने की साजिश रच रहे थे। जब हेमंत सोरेन को जेल से रिहा किया जा रहा था तो वे कैबिनेट की बैठक में निर्णय लेने में व्यस्त थे। उक्त बैठक में मौजूद मंत्रियों ने उनका विरोध किया।
उन्होंने कहा कि चंपई अपने कार्यकाल में दूसरे विभागों के निर्णय भी स्वयं लेते थे। झारखंड का इतिहास जब भी लिखा जाएगा, चंपई सोरेन का नाम विभीषण के रूप में दर्ज होगा। जिस पार्टी और माटी ने उनको सबकुछ दिया, उसको ठुकरा कर और अपने आत्मसम्मान को गिरवी रखकर वे सरकार को तोड़ने का कार्य कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि समय रहते जब चीजें सामने आ गई तो वे इंटरनेट मीडिया में पोस्ट कर रहें हैं। हकीकत है कि वे अपनी करनी पर पछतावा कर मुंह छुपा रहे हैं। बन्ना गुप्ता ने प्रहार करते हुए कहा कि गुरुजी (शिबू सोरेन) ने एक साधारण व्यक्ति को जमशेदपुर से निकाल कर पहचान दी। मुख्यमंत्री बनाया। बदले में चंपई ने राज्य को मौकापरस्ती के दलदल में झोंकना चाहा। हेमंत सोरेन जब जेल जाने लगे तो उन्होंने सभी सत्तापक्ष के विधायकों से चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही तो सभी ने बात को माना। बन्ना गुप्ता ने कहा कि जब खुद मुख्यमंत्री बनने की बात थी तो वो निर्णय बुरा और प्रोटोकाल के विरुद्ध नहीं लगा। तानाशाही याद नहीं आई। हर विभाग में उनका हस्तक्षेप था। हर मंत्रालय में वे खुद निर्णय लेने लगे थे, तब उनको नेतृत्व में तानाशाही महसूस नहीं हुआ था।Reporter
Ansh