खुल गया ताला
Sun, 25 Aug 2024
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खुल गया ताला

लेखक :- डॉ.एस कुमार_________________________,,

किसी गाँव में एक ताले की दुकान थी, ताले वाला रोजाना अनेकों ताले तोड़ा करता और अनेकों चाबियाँ भी बनाया करता था। ताले वाले की दुकान में एक व्यक्ति भी रोज काम सीखने आया करता था।*व्यक्ति रोज देखा करता कि छोटी सी चाबी इतने मजबूत ताले को भी कितनी आसानी से खोल देती है। एक दिन उसने ताले वाले से पूछा कि हथौड़ा ज्यादा शक्तिशाली है और हथौड़े के अंदर लोहा भी बहुत है और आकार में भी चाबी से बड़ा है लेकिन फिर भी हथौड़े से ताला तोड़ने में बहुत समय लगता है और इतनी छोटी चाबी बड़ी ही आसानी से मजबूत ताला कैसे खोल देती है।दुकानदार ने मुस्कुराके उससे कहा कि हथौड़े से तुम ताले पर ऊपर से प्रहार करते हो और उसे तोड़ने की कोशिश करते हो लेकिन वहीं चाबी ताले के अंदर तक जाती है, उसके अंतर्मन को छूती है और घूमकर ताले के अंतर्मन को बिना चोट किए स्पर्श करती है और ताला खुल जाया करता है।वाह ! कितनी गूढ़ बात कही है। इसी प्रकार हम चाहे कितने भी शक्तिशाली हो ताकतवर हो , लेकिन जब तक हम लोगों के दिल में नहीं उतरेंगे, उनके अंतर्मन को नहीं छुयेंगे तब तक कोई हमारा सन्मान नहीं करेगा।

जिस प्रकार हथौड़े के प्रहार से ताला खुलता नहीं बल्कि टूट जाता है, ठीक वैसे ही अगर हम शक्ति के बल पर कुछ काम करना चाहते हैं, तो हर बार सामान्यत: नाकामयाब रहेंगे क्योंकि शक्ति के द्वारा हम लोंगो के दिलो को छू नहीं सकते है। जीवन में हथोड़ा नहीं हम सभी को चाबी बनने का प्रयास करना होगा!घर से दरवाजा छोटा..!

दरवाजे से ताला छोटा..!ताले से चाबी छोटी..!

पर छोटी सी चाबी से...पूरा घर खुल जाता है...!!

इसी तरह?

छोटे छोटे अच्छे विचार... बहुत बड़े बड़े बदलाव ला सकते हैं...!!

लेखक :- डॉ.एस कुमार
 
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